सोने की चमक हमेशा से ही निवेशकों और उपभोक्ताओं दोनों को आकर्षित करती रही है। लेकिन हाल के दिनों में एक अनोखा और हैरान करने वाला विरोधाभास देखने को मिल रहा है। जहाँ एक ओर वैश्विक स्तर पर सोने के गहनों की मांग में महत्वपूर्ण गिरावट आई है, वहीं दूसरी ओर `Gold Price` लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। आखिर क्या है इस स्थिति के पीछे का गणित? आइए समझते हैं इस जटिल समीकरण को।
सोने की मांग घटी, फिर भी भाव आसमान पर क्यों?
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की दूसरी तिमाही में वैश्विक `Gold Jewelry Demand` में सालाना आधार पर 14% की बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जो महामारी के दौरान के स्तर के करीब पहुंच गई। इसके बावजूद, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में सोने ने नए रिकॉर्ड हाई बनाए हैं। यह स्थिति उन लोगों के लिए हैरान करने वाली है जो सोने को मुख्य रूप से गहनों के रूप में देखते हैं।
गहनों की मांग घटने के प्रमुख कारण
इस गिरावट के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं:
- निवेश की मानसिकता (Investment Mindset): अब लोग सोने को सिर्फ गहनों के रूप में नहीं बल्कि एक सुरक्षित `Investment` के तौर पर देख रहे हैं। गोल्ड ETFs या फिजिकल गोल्ड में निवेश का चलन बढ़ गया है, जिससे गहनों की खरीददारी कम हुई है।
- कमजोर अमेरिकी डॉलर (Weak US Dollar): अमेरिकी डॉलर की कमजोरी अंतरराष्ट्रीय बाजार में `Gold` को अधिक आकर्षक बनाती है, जिससे निवेशक इसमें पैसा लगाते हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता में ज्वेलरी खरीदना नीचे आ जाता है।
- 9 कैरेट ज्वेलरी का बढ़ता चलन (Rising Trend of 9-Carat Jewelry): दुनियाभर में अब 9 कैरेट `Gold Jewelry` की मांग बढ़ रही है। सस्ती ज्वेलरी के इस विकल्प के कारण महंगी और उच्च कैरेट वाली ज्वेलरी की मांग में कमी आई है।
वैश्विक निवेशकों का रुझान और भारत पर असर
वैश्विक अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित दर कटौती की अटकलों के बीच, निवेशक `Gold` और `Silver` जैसे सुरक्षित संपत्तियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह निवेशकों की दिलचस्पी को और बढ़ा रहा है। भारत में भी खुदरा निवेशकों का व्यवहार वैश्विक रुझान से मिलता-जुलता है। कई निवेशक मुनाफा बुक करने के लिए अपनी पुरानी ज्वेलरी बेच रहे हैं और कीमतें घटने पर फिर से `Gold` खरीदने की सोच रहे हैं। साथ ही, भारत सरकार ने हॉलमार्किंग मानकों को बढ़ाते हुए अब 9-कैरेट `Gold Jewelry` को भी इसमें शामिल किया है, जिससे उपभोक्ताओं को सस्ती ज्वेलरी का विकल्प मिल सके। पहले यह न्यूनतम 14 कैरेट था।
सोने के साथ चांदी में भी जोरदार तेजी
`Gold` के साथ-साथ `Silver Price` में भी जोरदार तेजी देखी गई है। हाल ही में यह $40 प्रति औंस पर पहुंच गया, जो पिछले 13 साल का सबसे ऊंचा स्तर है। सोने के विपरीत, `Silver` को निवेश के साथ-साथ औद्योगिक मांग से भी मजबूत समर्थन मिल रहा है। इसका उपयोग विशेष रूप से सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में बढ़ रहा है। 2025 की पहली छमाही में `Silver`-समर्थित ETFs में 95 मिलियन औंस का रिकॉर्ड इनफ्लो हुआ, जो 2024 के पूरे साल के आंकड़े से भी ज्यादा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि `Silver Price` ₹1.30 लाख से बढ़कर ₹1.5 लाख प्रति किलो तक पहुंच सकता है।
हाल ही के `Gold Rate` और `Silver Price` पर एक नजर
हाल ही में दिल्ली के सर्राफा बाजार में `Gold Price` ने नया रिकॉर्ड बनाया। अंतरराष्ट्रीय बाजार से मिले सकारात्मक संकेतों के चलते सोना एक ही दिन में ₹5,080 चढ़कर ₹1,12,750 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया, जबकि पिछले सत्र में इसका भाव ₹1,07,670 था। `Gold` के साथ `Silver` ने भी जोरदार छलांग लगाई। `Silver Price` ₹2,800 बढ़कर ₹1,28,800 प्रति किलो हो गया, जबकि पिछले सत्र में इसका भाव ₹1,26,000 प्रति किलो था।
संक्षेप में, `Gold` अब सिर्फ शादी-ब्याह या त्योहारों की रौनक नहीं, बल्कि एक गंभीर `Investment` का जरिया बन गया है। गहनों की घटती मांग और बढ़ते `Gold Rate` का यह विरोधाभास वैश्विक आर्थिक और वित्तीय रुझानों का सीधा परिणाम है, जो भविष्य में भी सोने और चांदी के बाजार को प्रभावित करता रहेगा।