नेपाल में राजनीतिक संकट गहरा गया है, जहाँ प्रधानमंत्री KP Sharma Oli ने देशव्यापी हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। युवा शक्ति, विशेष रूप से Gen-Z protest के दबाव ने ओली सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया, जिससे देश में एक बड़ा राजनीतिक बदलाव आया है।
हिंसक प्रदर्शनों ने सरकार को हिलाया
मंगलवार को राजधानी काठमांडू सहित नेपाल के प्रमुख शहरों में violent protests देखने को मिले। इन प्रदर्शनों का मुख्य कारण प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग और कथित भ्रष्टाचार था। आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’, शेर बहादुर देउबा और सरकार से इस्तीफा देने वाले गृहमंत्री रमेश लेखक व संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के आवासों पर आगजनी भी की।
मंत्रियों के इस्तीफे और ओली का अकेलापन
प्रधानमंत्री के इस्तीफे से पहले, उनकी सरकार में कई मंत्रियों ने अपने पद छोड़ दिए थे। गृहमंत्री रमेश लेखक और स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल जैसे प्रमुख नेताओं ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया, जिससे प्रधानमंत्री ओली राजनीतिक रूप से पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए। उनके पास पद छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।
Gen-Z की शक्ति और सेना की भूमिका
सोमवार को शुरू हुए इन हिंसक प्रदर्शनों में 19 से अधिक लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घायल हुए, जिसने सरकार को बैकफुट पर धकेल दिया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को तैनात करना पड़ा, लेकिन Kathmandu protests की अगुवाई कर रहे Gen-Z के अडिग इरादों ने ओली सरकार को आखिरकार झुका दिया। सूत्रों के मुताबिक, ओली के इस्तीफे से पहले सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल ने भी उन्हें पद छोड़ने की सलाह दी थी। यह Nepal political crisis देश के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
इस्तीफा स्वीकार, भविष्य पर सवाल
राष्ट्रपति द्वारा केपी शर्मा ओली का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि केपी शर्मा ओली देश छोड़कर दुबई जा सकते हैं। इस घटनाक्रम ने नेपाल की राजनीति में एक नया अध्याय खोल दिया है और Nepal PM resignation एक ऐतिहासिक घटना बन गई है, जो यह दर्शाती है कि जनता की आवाज को अब और दबाया नहीं जा सकता।