हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बातचीत ने वैश्विक कूटनीति और व्यापारिक हलकों में नई उम्मीदें जगाई हैं। दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में इस संवाद को एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। लेकिन, सवाल यह है कि इस हाई-प्रोफाइल बातचीत का Share market और निवेशकों पर क्या असर पड़ेगा? आइए जानते हैं विशेषज्ञों की राय।
शेयर बाजार पर बातचीत का असर: क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस बातचीत को शेयर बाजार सकारात्मक दृष्टि से देख रहा है। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि जब तक दोनों देशों के बीच कोई ठोस Trade deal सामने नहीं आता, तब तक निवेशक सतर्कता बरतेंगे। इकिगाई एसेट मैनेजमेंट के फाउंडर और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर पंकज तिबरेवाल ने बताया कि यह बातचीत एक स्वागत योग्य कदम है, जिससे शेयर बाजार के सेंटीमेंट को मजबूती मिल सकती है।
तिबरेवाल के अनुसार, ‘शेयर बाजार इस समय असमंजस में हैं, क्योंकि हर दिन नई-नई टिप्पणियां आ रही हैं। एक तरफ आउटसोर्सिंग पर रोक लगाने की बात सामने आती है, तो दूसरी तरफ ट्रंप की सकारात्मक टिप्पणियां। ऐसे में यह एक स्वागत योग्य घटनाक्रम है, लेकिन हमें तब तक बहुत सावधानी से देखना होगा, जब तक India-US relations में कोई स्पष्ट व्यापारिक समझौता फिर से हस्ताक्षरित नहीं हो जाता।’
कूटनीतिक मायने और भविष्य की चुनौतियाँ
अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने हाल ही में भारत-अमेरिका संबंधों को ‘खास’ बताते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि वे प्रधानमंत्री Narendra Modi के साथ ‘हमेशा दोस्ती बनाए रखेंगे।’ इसके तुरंत बाद, पीएम मोदी ने ट्रंप की बात का स्वागत किया और इसे साझेदारी को व्यापक और दूरदर्शी बताया। हफ्तों तक टैरिफ और व्यापार को लेकर चली तनातनी के बाद, इस बातचीत को एक सकारात्मक बदलाव का संकेत माना जा रहा है।
हालांकि, राजनयिकों और विदेश नीति विशेषज्ञों ने भी इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए आगाह किया है कि सिर्फ एक बातचीत से बहुत ज्यादा उम्मीदें लगाना ठीक नहीं है। पूर्व राजदूत वेणु राजामणि ने कहा कि दोनों पक्षों की ओर से संदेश सकारात्मक हैं, लेकिन ट्रंप के बयानों में काफी अनिश्चितता रहती है। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप बेहद अप्रत्याशित और कुछ हद तक अविश्वसनीय बने हुए हैं, इसलिए हमें नहीं पता कि भविष्य में हमारे लिए क्या होगा।’
इसी तरह ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के हर्ष वी पंत ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ महीनों में जानबूझकर संतुलित रुख अपनाया है, लेकिन अगर ट्रंप की ‘मेगाफोन डिप्लोमेसी’ और सार्वजनिक दबाव वाली रणनीति जारी रहती है तो रणनीतिक परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
निष्कर्ष: सतर्कता और सकारात्मकता के बीच संतुलन
कुल मिलाकर, Narendra Modi और Donald Trump के बीच की बातचीत ने निश्चित रूप से एक सकारात्मक माहौल बनाया है, लेकिन इसका ठोस परिणाम क्या होगा, यह अभी भी देखना बाकी है। निवेशकों को और नीति निर्माताओं को सतर्कता बनाए रखनी होगी, जब तक कि व्यापारिक समझौतों पर अंतिम मुहर नहीं लग जाती। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह संवाद India-US relations को किस दिशा में ले जाता है और इसका भारतीय Share market पर दीर्घकालिक प्रभाव क्या होता है।