टेक जगत में एक बार फिर हलचल तेज है, क्योंकि ऐप्पल (Apple) अपने बहुप्रतीक्षित स्मार्टफोन, आईफोन 17 (iPhone 17) को 9 सितंबर को लॉन्च करने की तैयारी में है। लेकिन, इस उत्साह के बीच एक बड़ी चिंता ने दस्तक दी है – डॉलर और रुपये के बीच जारी उठापटक। विशेषज्ञों का मानना है कि इस ‘मुकाबले’ का खामियाजा उपभोक्ताओं को चुकाना पड़ सकता है, खासकर आईफोन 17 खरीदने वालों को, जिनकी जेब पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा।
डॉलर-रुपये की जंग और iPhone 17 पर असर
कहते हैं, दो की लड़ाई में तीसरे का फायदा होता है, लेकिन यहां तीसरा यानी आईफोन नुकसान झेलता दिख रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार आ रही कमजोरी का सीधा असर आईफोन 17 की कीमतों पर दिखेगा। टेकआर्क (TechArc) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आईफोन 17 के बेसिक मॉडल की कीमत 86,000 रुपये तक पहुंच सकती है। वर्तमान में, वैश्विक बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 88.36 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है, जो अब तक का सबसे कमजोर स्तर है। यह स्थिति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ और इक्विटी बाजार से विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी जैसे कारकों के कारण पैदा हुई है।
क्यों कमजोर हो रहा है भारतीय रुपया?
साल 2025 में अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये में लगभग 5 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इस गिरावट का असर सीधे तौर पर आयातित उत्पादों पर पड़ता है, जिनमें आईफोन के कुछ कंपोनेंट्स भी शामिल हैं। रुपये की कमजोरी से बचने और कीमतों को स्थिर रखने के लिए ऐप्पल ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। कंपनी ने भारत में ही उत्पादन बढ़ाने का मन बनाया है ताकि आयात पर निर्भरता कम हो सके और लागत को नियंत्रित किया जा सके। हालांकि, अभी भी कुछ कंपोनेंट बाहर से मंगाने पड़ते हैं।
iPhone की कीमतों का ऐतिहासिक सफर
अगर हम आईफोन की कीमतों के इतिहास पर नज़र डालें, तो यह साफ दिखता है कि रुपये-डॉलर एक्सचेंज रेट का सीधा प्रभाव भारतीय बाजार पर पड़ता है। जब पहला आईफोन लॉन्च हुआ था, तब इसके बेस मॉडल की कीमत लगभग 31,000 रुपये थी। वहीं, आईफोन 16 के बेस मॉडल की कीमत आज बढ़कर 79,900 रुपये हो चुकी है। इस दौरान, डॉलर के मुकाबले रुपया 43.5 के स्तर से बढ़कर 83.7 के स्तर पर पहुंच गया है। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कैसे रुपये की कमजोरी ने आईफोन की कीमतों को आसमान पर पहुंचाया है।
हर साल महंगी होती ऐप्पल की तकनीक
औसतन, आईफोन की कीमत हर साल लगभग 7.6 फीसदी बढ़ रही है। इस वृद्धि में से लगभग 5.2 फीसदी रुपये में आई गिरावट के कारण है, जबकि शेष 2.4 फीसदी ऐप्पल द्वारा अपनी कीमतों में की गई वृद्धि का परिणाम है। ऐप्पल को अभी भी कुछ कंपोनेंट आयात करने पड़ते हैं, जिसकी वजह से लागत बढ़ जाती है। ऐसे में कंपनी के पास दो ही विकल्प होते हैं – या तो वह कीमतें बढ़ाए या फिर इन आयातित कंपोनेंट का निर्माण भारत में ही करे।
भारत में बढ़ रहा ऐप्पल का उत्पादन: एक उम्मीद की किरण
कीमतों को थामने और भारतीय बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए ऐप्पल भारत में उत्पादन बढ़ाने पर लगातार जोर दे रहा है। एक दशक पहले भारतीय स्मार्टफोन बाजार में ऐप्पल का शेयर मात्र 1 से 1.5 फीसदी था, जो अब बढ़कर 12 से 15 फीसदी हो गया है। पिछले साल भारत से ऐप्पल के लगभग 9 अरब डॉलर के मोबाइल का निर्यात हुआ था, जो एक साल पहले के मुकाबले 13 फीसदी अधिक था। कंपनी ने 2025 में भारत से 12 अरब डॉलर से अधिक के आईफोन निर्यात का लक्ष्य रखा है। यह कदम न केवल ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देगा, बल्कि लंबी अवधि में भारतीय उपभोक्ताओं के लिए आईफोन की कीमतों को स्थिर रखने में भी मदद कर सकता है।
निष्कर्षतः, डॉलर और रुपये की मौजूदा स्थिति के कारण आईफोन 17 का महंगा होना लगभग तय है। हालांकि, भारत में ऐप्पल के बढ़ते उत्पादन से भविष्य में कीमतों पर दबाव कुछ कम होने की उम्मीद की जा सकती है। लेकिन, फिलहाल, अगर आप आईफोन 17 खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो अपनी जेब थोड़ी ढीली करने के लिए तैयार रहें।