बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव का परिवार हमेशा सुर्खियों में रहा है। इन दिनों लालू के दोनों बेटे, तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव, एक बार फिर अपने बयानों के चलते चर्चा का विषय बने हुए हैं। हाल ही में तेज प्रताप यादव ने अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव को सार्वजनिक रूप से ‘नचनिया’ कहकर संबोधित किया, जिसने बिहार के सियासी गलियारों में नई बहस छेड़ दी है।
तेजस्वी के डांस पर तेज प्रताप का तीखा हमला
खबरों के मुताबिक, हाल ही में तेजस्वी यादव ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के बाद पटना के मरीन ड्राइव पर कुछ देर मस्ती की और डांस भी किया था। जब तेज प्रताप यादव से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने एक लोकल यूट्यूब चैनल पर बड़ा बयान दिया। तेज प्रताप ने तेजस्वी पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वह नाचकर चुनाव जीत जाएं तो अच्छी बात है। उनका यह बयान तुरंत आग की तरह फैल गया और राजनीति में नई गर्माहट ले आया।
क्या है ‘नचनिया’ वाले बयान का पूरा सच?
तेज प्रताप यादव ने तेजस्वी के डांस पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘ऊ नाचते हैं और डांस करते हैं तो उसको क्या बोलिएगा? नचनिया न बोलिएगा। तो नाचते रहें ऊ (तेजस्वी यादव), नाचते नाचते चुनाव जीत जाएं वो। शुभकामना है हमारी।’ उनके इस बयान में कटाक्ष और व्यंग्य साफ झलक रहा था, जिसने दोनों भाइयों के बीच चल रही कथित अनबन को एक बार फिर सतह पर ला दिया है।
तेजस्वी की राह में रोड़े बिछाते तेज प्रताप?
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि लालू प्रसाद यादव तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने अतीत में कई बड़े फैसले भी लिए हैं। ऐसी चर्चाएं रही हैं कि जब तेज प्रताप यादव और उनकी कथित गर्लफ्रेंड अनुष्का यादव की फोटो वायरल हुई थी, तो राजद सुप्रीमो ने अपने बड़े बेटे को पार्टी से बेदखल कर दिया था, ताकि तेजस्वी की राह आसान हो सके। हालांकि, तेज प्रताप के ऐसे तीखे बयान अब तेजस्वी के लिए ही मुश्किलें पैदा कर रहे हैं, और उनके मुख्यमंत्री बनने की लालू की हसरत पर सवालिया निशान लगा रहे हैं।
पहले भी दिखा है तेज प्रताप का आक्रोश
यह कोई पहला मौका नहीं है जब तेज प्रताप यादव ने अपने छोटे भाई पर सार्वजनिक रूप से हमला बोला हो। इससे पहले भी एक सभा में जब तेज प्रताप अपने समर्थकों को संबोधित कर रहे थे, तो किसी ने ‘तेजस्वी यादव जिंदाबाद’ का नारा लगा दिया था। इस पर भी तेज प्रताप उखड़ गए थे। जहानाबाद की उस सभा में उन्होंने बिना तेजस्वी यादव का नाम लिए कहा था कि ‘जो किसी का अपना नहीं हुआ, वो जनता का क्या होगा?’ उनके इस बयान ने तब भी काफी सुर्खियां बटोरी थीं।
लालू परिवार के इन अंदरूनी विवादों का असर राजद की एकजुटता और बिहार की राजनीति पर पड़ना तय माना जा रहा है। देखना होगा कि आने वाले समय में यह सियासी संग्राम कौन सा नया मोड़ लेता है।