पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) महिलाओं में होने वाली एक बेहद सामान्य समस्या है, जो हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है। यह रिप्रोडक्टिव हार्मोन्स में गड़बड़ी की वजह से होता है, जिसमें ओवरीज एंड्रोजेन (पुरुष हार्मोन) का अधिक उत्पादन करने लगती हैं। रिप्रोडक्टिव एज की महिलाओं में यह काफी आम है।
पीसीओएस के कई शारीरिक और मानसिक लक्षण (PCOS Symptoms) देखने को मिलते हैं, जिनकी मदद से इस स्थिति का जल्दी पता लगाया जा सकता है। इस बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल सितंबर महीने को पीसीओएस अवेयरनेस मंथ (PCOS Awareness Month) के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि पीसीओएस के प्रमुख लक्षण क्या होते हैं।
अनियमित पीरियड्स
यह पीसीओएस का सबसे सामान्य और महत्वपूर्ण लक्षण है। इसमें महिलाओं के पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं, या तो बहुत देरी से आते हैं, सामान्य से कम फ्लो होता है, या फिर पूरी तरह से रुक जाते हैं।
शरीर पर अनचाहे बालों का बढ़ना (हिर्सुटिज्म)
पीसीओएस में महिलाओं के शरीर में एण्ड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है, जिसके कारण सामान्य से ज्यादा और मोटे बाल उग आते हैं। ये बाल आमतौर पर ठोड़ी और ऊपरी होंठ, छाती, पेट, पीठ और जांघों जैसे स्थानों पर देखे जा सकते हैं।
त्वचा और बालों का तैलीय होना व मुंहासे
बढ़े हुए एण्ड्रोजन हार्मोन के कारण त्वचा के ऑयल ग्लैंड्स (तेल ग्रंथियां) ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। इससे चेहरे, छाती और पीठ पर लगातार मुंहासे (एक्ने) होने लगते हैं। त्वचा और बाल भी सामान्य से अधिक तैलीय हो जाते हैं।
वजन बढ़ना और मोटापा
पीसीओएस से पीड़ित लगभग 80% महिलाएं वजन बढ़ने या मोटापे की समस्या से जूझती हैं। खासतौर पर पेट के आस-पास चर्बी का जमा होना एक आम समस्या है। पीसीओएस के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस भी बढ़ सकता है, जिसकी वजह से वजन कम करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
बालों का पतला होना या झड़ना
पुरुष हार्मोन के बढ़ने का असर सिर के बालों पर भी पड़ता है। इसमें सिर के ऊपरी हिस्से के बाल पतले होने लगते हैं और हेयर फॉल बढ़ जाता है, जिसे ‘मेल पैटर्न बॉल्डनेस’ भी कहा जाता है।
त्वचा पर काले धब्बे (एकेन्थोसिस निगरिकेन्स)
पीसीओएस के कारण त्वचा के कुछ हिस्सों पर काले, मखमली और मोटे धब्बे (पैचेज) आ सकते हैं। ये आमतौर पर गर्दन के पीछे, बगल में, जांघों के बीच और स्तनों के नीचे दिखाई देते हैं।
ओवरीज में सिस्ट
नाम के बावजूद, यह जरूरी नहीं कि हर पीसीओएस पीड़ित महिला की ओवरीज में सिस्ट हों, लेकिन कई मामलों में अल्ट्रासाउंड में ओवरीज बढ़े हुए दिखाई देते हैं और उनमें कई छोटे-छोटे सिस्ट (अल्सर) भी देखे जा सकते हैं।
थकान और मानसिक स्वास्थ्य पर असर
हार्मोनल असंतुलन का असर एनर्जी के स्तर और मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। लगातार थकान और सुस्ती महसूस होना, एंग्जायटी (चिंता) और डिप्रेशन (अवसाद) के लक्षण दिखाई देना, साथ ही मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन होना इसके सामान्य लक्षण हैं।
गर्भवती होने में समस्या
पीसीओएस का सीधा असर ओव्यूलेशन (अंडोत्सर्ग) पर पड़ता है। इसमें नियमित ओव्यूलेशन नहीं हो पाता, जिसके कारण गर्भधारण करने में समस्या हो सकती है।
यदि आप इनमें से कोई भी लक्षण महसूस करती हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है। समय पर पहचान और उचित प्रबंधन से पीसीओएस के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। सितंबर महीने को पीसीओएस अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाकर हम सभी को इस समस्या के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए।