बिहार की राजनीति में जुबानी जंग लगातार तीखी होती जा रही है। हाल ही में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर बिना नाम लिए तीखा हमला बोला है। एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए नीरज कुमार ने भाजपा की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं, जब उनके ही कार्यकर्ताओं को ‘सड़कछाप’ और ‘लफुआ’ जैसे अपमानजनक शब्दों से नवाजा जा रहा है। यह घटनाक्रम बिहार के राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस को जन्म दे रहा है कि क्या राजनीतिक विरोधियों के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल जायज है और उन पर चुप्पी क्यों साधी जा रही है।
अपमानजनक शब्दों पर भाजपा की चुप्पी पर सवाल
नीरज कुमार ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में किसी का नाम लिए बिना पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह और भाजपा दोनों पर निशाना साधा। उन्होंने एक ज्वलंत तुलना पेश की: “भारत रत्न जननायक की उपाधि चुराना और माननीय प्रधानमंत्री जी की दिवंगत माता जी के लिए अपमानजनक शब्द बोलना गाली कहलाता है। लेकिन बिहार के मोकामा में राजनीतिक कार्यकर्ताओं को पूर्व माननीय द्वारा ‘सड़कछाप’ और ‘लफुआ’ कहना भी सम्मान?” नीरज का इशारा साफ था कि एक तरफ प्रधानमंत्री की मां के लिए अपमानजनक शब्द बोलने पर विरोध दर्ज होता है, वहीं दूसरी ओर भाजपा के अपने कार्यकर्ताओं के लिए ऐसे शब्दों के इस्तेमाल पर पार्टी मौन क्यों है?
अनंत सिंह के बयान का संदर्भ
दरअसल, नीरज कुमार का यह हमला मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह के एक वायरल वीडियो के संदर्भ में आया है। इस वीडियो में अनंत सिंह मीडिया से बातचीत के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्हें ‘सड़कछाप’ और ‘लफुआ’ कहते सुने गए थे। माना जा रहा है कि नीरज कुमार ने इसी घटना का जिक्र करते हुए बिना किसी का नाम लिए भाजपा पर निशाना साधा है। उनका सीधा सवाल है कि यदि प्रधानमंत्री की माता जी के लिए अपशब्द कहना गाली है, तो राजनीतिक कार्यकर्ताओं को ‘सड़कछाप’ और ‘लफुआ’ कहना कैसे सम्मान हो सकता है?
राजनीति में अपराधीकरण के खिलाफ नीरज कुमार का स्टैंड
यह पहली बार नहीं है जब नीरज कुमार ने राजनीतिक शुचिता को लेकर अपनी आवाज उठाई है। पिछले कुछ समय से वे लगातार राजनीति में अपराधीकरण के खिलाफ मुखर रहे हैं। खासकर मोकामा से जदयू के टिकट पर अनंत सिंह के चुनाव लड़ने की अटकलों को लेकर वे खुले तौर पर कह चुके हैं कि वे इस प्रकार की राजनीति के समर्थक नहीं हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि यदि पार्टी ऐसा कोई फैसला लेती है, तो वे ऐसे उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार नहीं करेंगे और अपने स्तर पर कोई समर्थन नहीं देंगे। ‘सड़कछाप’ और ‘लफुआ’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल के बाद भी भाजपा की चुप्पी पर नीरज कुमार ने एक बार फिर बिना नाम लिए कटाक्ष कर अपनी पुरानी प्रतिबद्धता को दोहराया है। उनका यह कदम बिहार की सियासत में नई हलचल पैदा कर सकता है, जहां राजनीतिक मर्यादा और शुचिता पर लगातार सवाल उठते रहे हैं।