तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ उनकी एक कथित टिप्पणी ‘सिर काटकर टेबल पर रख देना चाहिए’ को लेकर छत्तीसगढ़ में उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इस पर रविवार को महुआ मोइत्रा ने जोरदार पलटवार करते हुए बीजेपी पर हमला बोला और अपनी टिप्पणी को बंगाली मुहावरा बताया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘मूर्खों को मुहावरे समझ नहीं आते’ और इस पूरे मामले को राजनीतिक साजिश करार दिया।
मुहावरे का सहारा और ‘400 पार’ पर तंज
मोइत्रा ने अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा कि यह बंगाली में जिम्मेदारी लेने के संबंध में एक मुहावरा है, जिसका अर्थ है ‘लज्जा में माथा काटा जाना’। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों का हवाला देते हुए ‘अबकी बार 400 पार’ के नारे के धराशायी होने की बात कही, जिसे विदेशी मीडिया ने नरेंद्र मोदी के लिए ‘तमाचा’ बताया था। उन्होंने सवाल किया कि क्या किसी ने पीएम को सचमुच थप्पड़ मारा? नहीं। इसी तरह, उनकी टिप्पणी भी एक मुहावरा थी जिसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
दरअसल, महुआ मोइत्रा ने नादिया में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि बीजेपी बंगाल में अवैध घुसपैठ होने का दावा करती है, जबकि सीमा पर बीएसएफ तैनात है जो सीधे गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है। उन्होंने पूछा था कि अगर घुसपैठ हो रही है, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है? उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जिम्मेदार ठहराया था, क्योंकि बीएसएफ प्रमुख उन्हें रिपोर्ट करते हैं। मोइत्रा ने कहा था कि अगर अमित शाह घुसपैठ रोकने में नाकामयाब रहे हैं, तो उन्हें इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और ‘सबसे पहले उनका गला काटकर टेबल पर रखना चाहिए’।
FIR और शिकायतकर्ता का आरोप
यह FIR रायपुर के माना कैंप थाने में स्थानीय निवासी गोपाल समांता की शिकायत पर महुआ मोइत्रा के खिलाफ दर्ज की गई है। शिकायतकर्ता ने मोइत्रा के बयान को ‘लोकतंत्र और राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा’ बताया है। इस मामले ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है और बीजेपी व टीएमसी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
छत्तीसगढ़ पुलिस पर भी साधा निशाना
टीएमसी सांसद ने छत्तीसगढ़ पुलिस पर भी निशाना साधा, जिन्होंने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की। उन्होंने कोण्डागांव के एसपी पर बंगाली प्रवासी मजदूरों के खिलाफ झूठी एफआईआर और मारपीट का आरोप लगाया। मोइत्रा ने बताया कि उन्होंने इस मामले में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसने नोटिस जारी किया, जिसके बाद एसपी ने अपनी एफआईआर वापस ले ली। मोइत्रा के अनुसार, यह उनके खिलाफ राजनीतिक द्वेष से की गई कार्रवाई का एक और उदाहरण है।
आगे क्या?
यह कोई पहला मौका नहीं है जब महुआ मोइत्रा अपनी तीखी टिप्पणियों और बेबाक अंदाज के लिए विवादों में घिरी हों। उनके बयान अक्सर राजनीतिक गलियारों में गरमाहट पैदा करते रहे हैं। अब देखना यह होगा कि अमित शाह पर की गई इस टिप्पणी और उसके बाद दर्ज हुई एफआईआर का राजनीतिक रूप से क्या असर होता है और यह विवाद आगे कौन सा नया मोड़ लेता है।