मिथिलेश कुमार यादव, बिहार के नवादा जिले के कौआकोल प्रखंड स्थित नावाडीह गांव के एक साधारण परिवार से आते हैं, लेकिन अब उनका नाम देश भर में गूंज रहा है। उन्होंने ‘कौन बनेगा करोड़पति’ (केबीसी) के मंच पर अपनी असाधारण बुद्धि और सूझबूझ का प्रदर्शन करते हुए 25 लाख रुपये की मोटी रकम जीत ली है। उनकी यह जीत सिर्फ एक वित्तीय उपलब्धि नहीं, बल्कि प्रतिकूल परिस्थितियों और अथक संघर्ष पर विजय की एक प्रेरणादायक गाथा है।
केबीसी के हॉट सीट तक का सफर: आत्मविश्वास और ज्ञान की कसौटी
मिथिलेश के लिए केबीसी का सफर किसी दुर्गम यात्रा से कम नहीं था। जीवन की अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए उन्होंने इस प्रतिष्ठित शो तक पहुंचने का सपना देखा और उसे साकार किया। स्टूडियो में पहुंच कर भी उन्होंने अपना आत्मविश्वास नहीं खोया। अपनी तीक्ष्ण बुद्धि के दम पर मिथिलेश ने ‘फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट’ राउंड में बाजी मारी और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर अपनी जगह पक्की कर ली।
सवालों का सिलसिला और संघर्ष की दास्तान
इसके बाद शुरू हुआ ज्ञान और धैर्य का इम्तिहान। ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के सीजन-17 के भव्य सेट पर अमिताभ बच्चन के हास्य-परिहास वाले माहौल में सहज होते हुए मिथिलेश ने हर सवाल का जवाब दिया। कई मौकों पर उन्होंने अपनी पारिवारिक और संघर्ष भरी दास्तान साझा की, जिसने दर्शकों और स्वयं अमिताभ बच्चन की आंखें भी नम कर दीं। हालांकि, भावनाओं के ज्वार के बावजूद, मिथिलेश ने प्रश्नोत्तरी के दौरान अपनी काबिलियत पर पूरा भरोसा रखा और जरा भी विचलित हुए बिना खेल को आगे बढ़ाया।
तमाम लाइफलाइन का सूझबूझ से इस्तेमाल करते हुए, वह आखिरकार 25 लाख रुपये की रकम तक पहुंच गए। हालांकि, 50 लाख रुपये के सवाल पर उन्हें थोड़ी उलझन हुई और उन्होंने समझदारी दिखाते हुए खेल से क्विट करना उचित समझा।
छोटे भाई के लिए समर्पित जीवन: एक सामाजिक संदेश
मिथिलेश की कहानी का सबसे मार्मिक और प्रेरक पहलू उनके छोटे भाई के प्रति उनका समर्पण है। माता-पिता को खोने के बाद, मिथिलेश पर छोटे भाई की जिम्मेदारी आ गई, और इस जिम्मेदारी ने उन्हें और निखारा। केबीसी के मंच पर जब उनकी यह संघर्ष गाथा प्रसारित हुई, तो सभी उनके अटूट संकल्प और प्रेम से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। ट्यूशन पढ़ाकर जैसे-तैसे जीवनयापन करने वाले मिथिलेश ने अपने छोटे भाई का भविष्य संवारने का संकल्प लेकर समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। उनके और उनके छोटे भाई अंकुश के बीच की अद्भुत बॉन्डिंग ने अमिताभ बच्चन को भी खूब प्रभावित किया।
अपने छोटे भाई अंकुश को अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पढ़ाने की चाहत और उसे साइकिल न दे पाने का गम जब मिथिलेश की आंखों से आंसू बनकर बह निकला, तो अमिताभ बच्चन ने खुद उन्हें संभाला। माहौल को हल्का-फुल्का बनाने के लिए उन्होंने मिथिलेश को टिशू पेपर दिए और कहा, “ये तीन टिशू पेपर हैं, आंसू पोंछ लें।”
अमिताभ का हास्य और मिथिलेश का दृढ़ संकल्प
बाद में, अमिताभ ने मज़ाक में टिशू पेपर वापस लेते हुए पूछा, “आपने इसमें नाक तो नहीं पोंछ लिया?” इस पर सेट पर मौजूद सभी लोग ठहाका मारकर हंस पड़े और मिथिलेश भी थोड़े सहज हो सके। इस क्षण के बाद, मिथिलेश ने जो गति पकड़ी, तो फिर एक ठोस मंजिल पर पहुंच कर ही दम लिया।
मिथिलेश कुमार ने बताया कि केबीसी का यह एपिसोड गुरुवार रात 9 बजे प्रसारित किया गया था। यह एपिसोड स्ट्रीमिंग के लिए भी उपलब्ध है।