**मीठी नदी** मुंबई शहर के हृदय में बहती एक महत्वपूर्ण नदी है, जो पवई और विहार झील के प्रवाह से उत्पन्न होकर लगभग 18 किलोमीटर का सफर तय करती है और आखिरकार माहीम खाड़ी में जाकर अरब सागर में मिल जाती है। मुंबई के घने शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों से गुजरती यह नदी मानसून के मौसम में विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाती है।
मीठी नदी का पाट करीब 7,295 हेक्टेयर क्षेत्रफल को समेटे हुए है। इसकी औसत चौड़ाई ऊपरी हिस्सों में 5 मीटर, बीच वाले हिस्सों में 25 मीटर और निचले हिस्सों में 70 मीटर तक है, जिसे वर्ष 2005 में मुंबई में आई भयंकर बाढ़ के बाद चौड़ा किया गया था। 26 जुलाई 2005 को महज 24 घंटे में 944 मिलीमीटर वर्षा के कारण महानगर में अभूतपूर्व बाढ़ आई थी, जिसके लिए नदी की सीमित जल वाहक क्षमता और तटीय भरती को जिम्मेदार माना गया।
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, मीठी नदी का अस्तित्व आज गंभीर संकट में है। इसमें लगातार औद्योगिक कचरा, सीवेज, नगर निगम का कचरा और अवैध गतिविधियों के चलते बड़े पैमाने पर प्रदूषण हो चुका है। कई क्षेत्रों में नदी की तह में सिल्ट, गाद, प्लास्टिक, ऑयली ड्राम और जलकुंभी जैसी वनस्पतियों की भरमार है, जिससे इसकी स्वच्छता और प्रवाह क्षमता प्रभावित हुई है। पर्यावरणविद बार-बार चेतावनी दे चुके हैं कि यदि नदी की सफाई को लेकर सख्त और नियमित कदम न उठाए गए, तो यह स्थिति न सिर्फ जलीय जीवन के लिए बल्कि पूरे तटीय मुंबई के लिए खतरे का संकेत है।
प्रशासनिक स्तर पर नदी संरक्षण के लिए ‘मीठी नदी विकास और संरक्षण प्राधिकरण’ बनाया गया है, जिसके संचालन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अध्यक्ष के तौर पर जुड़ते हैं। प्राधिकरण ने नदी की सफाई, चैनलाइजेशन और मॉनसून पूर्व सिल्ट हटाने जैसे उपाय किए हैं, लेकिन अब तक बड़ी सफलता मुश्किल रही है। भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोपों ने भी संरक्षण प्रयासों की गति को प्रभावित किया है। हाल ही में मीठी नदी सिल्ट घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा ने ठेकेदारी घोटाले और करोड़ों के गबन के आरोपों में 13 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिसमें नगरपालिका अधिकारियों, ठेकेदारों और अन्य का नाम उजागर हुआ। टेंडर प्रक्रिया में भी हेरफेर और फर्जी बिलिंग जैसी गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। बीएमसी को करीब 65 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों ने बार-बार अपील की है कि नदी की सफाई और संरक्षण कार्यों में पारदर्शिता, इको-फ्रेंडली अप्रोच और तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत है। मुंबई जैसे महानगर की जल निकासी और बाढ़ नियंत्रण के लिए मीठी नदी की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता।
भविष्य में期待 है कि न्यायिक, प्रशासनिक और सामाजिक स्तर पर समन्वय बनाकर मीठी नदी को उसकी पुरानी गरिमा लौटाने के प्रयास तेज किए जाएंगे। अनेक विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि प्रदूषण नियंत्रण, नियमित सिल्ट हटाने, कचरा निष्पादन और सख्त निगरानी पर पूरी गंभीरता से ध्यान दिया जाए, तो मीठी नदी एक बार फिर मुंबई की जीवनरेखा बन सकती है।