ए. आर. मुरुगादॉस भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के उन विरले निर्देशकों में गिने जाते हैं, जिन्होंने अपने अलग अंदाज और सशक्त विषय-वस्तु के चलते दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी है। उनका असली नाम मुरुगादॉस अरुणासलम है, जिनका जन्म 25 सितंबर 1974 को हुआ था। वे मुख्य रूप से तमिल सिनेमा में बतौर निदेशक, निर्माता और पटकथा लेखक सक्रिय हैं।
मुरुगादॉस की पहचान एक्शन और सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्में रचने वाले निर्देशक के रूप में है। उन्होंने न केवल तमिल, बल्कि तेलुगु और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी अपने हुनर का लोहा मनवाया है। उनकी पहली बड़ी सफलता ‘धेना’ (2001) से मिली, जिसके बाद वह लगातार सफल फिल्में देते रहे।
2008 में मुरुगादॉस ने अपनी तमिल फिल्म ‘गजिनी’ का हिंदी रीमेक डायरेक्ट किया, जो ₹100 करोड़ से अधिक की कमाई करने वाली पहली बॉलीवुड फिल्म बनी। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, जिसने फिल्म उद्योग में उनकी प्रतिष्ठा स्थापित कर दी। इसके अलावा, ‘7 बजे अरीवु’ जैसी फिल्मों ने तमिल सिनेमा के लिए नया कारोबार रचने का रिकॉर्ड बनाया।
विजय के साथ उनकी जोड़ी ने ‘थुप्पकी’, ‘कथ्थी’ और ‘सरकार’ जैसी हिट फिल्में दीं। इन फिल्मों के जरिए मुरुगादॉस ने सामाजिक विचारों को एक्शन के अंदाज में पेश किया, जिसे दर्शकों ने काफी सराहा। ‘कथ्थी’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला। विशेषज्ञों के मुताबिक, उनकी कहानियों में गहराई, सामयिकता और दर्शकों से संवाद की जबरदस्त ताकत है।
मुरुगादॉस केवल निर्देशक ही नहीं, बल्कि निर्माता और पटकथा लेखक भी हैं। हाल ही में उन्होंने फिल्म ‘16 अगस्त 1947’ को प्रोड्यूस किया, जिसमें उनके शिष्य ने निर्देशन किया था। इससे स्पष्ट है कि वे नई प्रतिभाओं को भी आगे लाने का प्रयास कर रहे हैं।
उनकी यात्रा आसान नहीं रही। एक समय, मद्रास फिल्म संस्थान ने उन्हें प्रवेश देने से इनकार कर दिया था, लेकिन अपने संघर्ष और प्रतिभा के दम पर वह देश के बड़े निर्देशकों में शामिल हुए। उनके जीवन की यह कहानी कई युवा फिल्मकारों के लिए प्रेरणा है।
भविष्य में मुरुगादॉस से दर्शकों को प्रगतिशील और पठनीय फिल्मों की उम्मीद है। संस्करण, विषय-वस्तु और कहानी कहने की शैली में नवाचार उनकी पहचान है। फिल्म समीक्षकों का मानना है कि आने वाले समय में वे भारतीय सिनेमा को और ऊँचाइयों तक ले जा सकते हैं।
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