2014 का वर्ष था। यूक्रेन का क्रीमिया प्रायद्वीप अपने सुंदर समुद्री तटों और विविध सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता था। लेकिन अचानक, इस क्षेत्र की किस्मत पलट गई। रूस ने विवादित जनमत संग्रह के बाद क्रीमिया को अपने में मिला लिया। रूस के इस कदम ने न केवल यूक्रेन को हिलाकर रख दिया, बल्कि पूरी दुनिया में हलचल मचा दी।
आज क्रीमिया के सवाल पर यूक्रेन और रूस में खून-खराबे की जंग जारी है। एक आहट, एक सपना जो यूक्रेन के लोगों ने देखा था, वह टुकड़ों में बिखर गया। रूसी फौजों ने न सिर्फ क्रीमिया, बल्कि यूक्रेन के तमाम पूर्व और दक्षिण-पूर्वी इलाकों पर भी कब्जा जमा लिया है। मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक, रूस अब यूक्रेन के लगभग 19% क्षेत्र (करीब 114,500 वर्ग किमी) पर नियंत्रण बनाए हुए है, जिसमें करीब 27,000 वर्ग किमी का क्रीमिया भी शामिल है[1]।
इस जंग ने हजारों जिंदगियों को छीन लिया है और लाखों लोगों को बेघर कर दिया है। यूक्रेनी परिवार अपने घरों से उजड़कर, अपने ही देश में शरणार्थी बनने को मजबूर हो गए। हर दिन गोलियों की आवाज़ें, मिसाइलों की गूंज और बिखरते हुए सपनों की चीखें सुनाई देती हैं। 2014 से शुरू हुए इस संकट ने 2022 के बाद और भी तेज रफ्तार पकड़ ली, जब रूस ने यूक्रेन पर पूरा सैन्य हमला बोल दिया। अब तक, सैकड़ों नागरिक अपनी जान गंवा चुके हैं और यूक्रेन की बुनियादी सुविधाओं—बिजली, पानी, गैस—पर लगातार हमले हो रहे हैं[2]।
दुनिया की नजरें शांति की उम्मीद में लगी थीं। एक उम्मीद जगी जब अमेरिका और अन्य ताकतें दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की कोशिश कर रही थीं। लेकिन ताज़ा हालात कुछ और ही कहानी कह रहे हैं। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्पष्ट कर दिया कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाएगा और क्रीमिया की वापसी की कोई संभावना नहीं है[3]। यूक्रेन को एक बार फिर जख्मों से समझौता करना पड़ सकता है।
क्रीमिया यूक्रेन की आत्मा का हिस्सा है, उसकी संप्रभुता और पहचान का प्रतीक है। पर लगातार होती राजनीतिक सौदेबाजी, युद्ध की विभीषिका और शक्तिशाली देशों के हितों ने उस आत्मा को खंडित कर दिया है। जो बच्चे क्रीमिया की गलियों में आज बड़े हो रहे हैं, वे कभी नहीं जान पाएंगे उस यूक्रेनी पहचान को, जो उनके पूर्वजों ने जिया था।
संक्षेप में, क्रीमिया की कहानी किसी एक भूमि के छिन जाने की नहीं, बल्कि एक आकांक्षा, एक जिद और एक टूटे हुए सपने की कहानी है। वक्त यही सवाल छोड़ता है—क्या कभी वहां फिर से अमन लौटेगा? या यूक्रेन का यह सपना हमेशा युद्धध्वनियों में सदा के लिए खो जाएगा?