ब्लड कैंसर (Blood Cancer) का नाम सुनते ही, अक्सर लोगों के दिमाग में कई तरह के मिथक घूमने लगते हैं। इन्हीं गलतफहमियों की वजह से लोग इस गंभीर बीमारी से बहुत ज्यादा डरते हैं और कई बार इलाज कराने से भी कतराते हैं। GLOBOCAN की साल 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, ल्यूकेमिया (Leukemia) के 4 लाख 87 हजार से भी अधिक मामले पाए गए हैं। ब्लड कैंसर से जुड़ी गलतफहमियां ही कई बार परिवार को बिना वजह के डर और तनाव से गुजारती हैं।
ब्लड कैंसर से जुड़े इन मिथकों और उनकी सच्चाई को जानने के लिए हमने फरीदाबाद के एकॉर्ड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के ऑन्कोलॉजी विभाग के एचओडी एवं सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सनी जैन (Dr Sunny Jain, Senior Consultant & HOD – Medical Oncology, Accord Hospital, Faridabad) से खास बातचीत की। आइए जानते हैं क्या हैं ये मिथक और उनकी हकीकत:
मिथक 1: चीनी ब्लड कैंसर के इलाज को प्रभावित करती है
सच्चाई: डॉ. सनी कहते हैं, “इसके पीछे कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है। किसी भी तरह का ठोस डेटा नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि चीनी ब्लड कैंसर के इलाज को प्रभावित करती है। इसका कोई सीधा असर ब्लड कैंसर के इलाज पर नहीं पड़ता। इलाज के दौरान बैलेंस डाइट लेनी चाहिए और चीनी बिल्कुल भी छोड़ने की जरूरत नहीं है।”
मिथक 2: ब्लड कैंसर के सभी मरीजों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है
सच्चाई: डॉ. सनी कहते हैं कि आज मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि ब्लड कैंसर के सभी मरीजों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant) की जरूरत नहीं पड़ती। अब हमारे पास ब्लड कैंसर का इलाज करने के लिए टार्गेटेड थेरेपी (Targeted Therapy), इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy) और आधुनिक कीमोथेरेपी (Modern Chemotherapy) जैसे बेहतरीन ऑप्शन्स हैं। अब तो डीएनए में मौजूद म्यूटेशन की पहचान करके मॉलिक्यूलर टार्गेटेड थेरेपी भी की जा रही है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट सिर्फ उन्हीं मरीजों का कराने की सलाह दी जाती है, जो मरीज इलाज पर रिस्पॉन्स नहीं कर रहे या फिर जिन्हें दोबारा कैंसर हो रहा है।
मिथक 3: ब्लड कैंसर हमेशा आनुवंशिक (जेनेटिक) होता है
सच्चाई: डॉ. सनी ने बताया, “लोगों का ऐसा सोचना भी गलत है। ब्लड कैंसर के कुछ प्रतिशत मामले ही फैमिली हिस्ट्री या जेनेटिक कारणों से होते हैं, लेकिन ज्यादातर मरीजों में कैंसर की शुरुआत पहली बार में ही होती है। कुछ सिंड्रोम्स जरूर ब्लड कैंसर का रिस्क बढ़ाते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं कि वह पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफर हों।”
मिथक 4: ब्लड कैंसर का इलाज संभव नहीं है
सच्चाई: डॉ. सनी ने कहा कि आज मेडिकल साइंस इतना आगे आ चुका है कि हर तरह के कैंसर का इलाज संभव है। कैंसर का इलाज करते समय डॉक्टर इस बात पर ध्यान रखते हैं कि मरीज किस स्टेज पर है, कैंसर का टाइप क्या है और मरीज की उम्र व उसकी बॉडी कैसे रिस्पॉन्स करती है। ब्लड कैंसर का इलाज संभव है, लेकिन इसकी समय पर पहचान करना और फिर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेकर इलाज कराना बहुत महत्वपूर्ण है।
मिथक 5: त्वचा का पीला पड़ना ब्लड कैंसर का सीधा लक्षण है
सच्चाई: डॉ. सनी कहते हैं, “स्किन का पीला पड़ना ब्लड कैंसर का सीधा लक्षण नहीं है, बल्कि यह एनीमिया (Anaemia) यानी कि हीमोग्लोबिन की कमी के कारण हो सकता है। ब्लड कैंसर में कभी-कभी मरीजों की त्वचा पीली पड़ सकती है, क्योंकि कैंसर में मरीज के शरीर में ब्लीडिंग होती है या हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता, लेकिन ये ब्लड कैंसर का सीधा लक्षण नहीं है।”
मिथक 6: ल्यूकेमिया केवल बच्चों में ही होता है
सच्चाई: डॉ. सनी कहते हैं कि ल्यूकेमिया चार तरह का होता है: AML, ALL, CML, और CLL। ALL और AML कैंसर बच्चों में आम हैं, जबकि CLL आमतौर पर 60-70 की उम्र में होता है। इसका मतलब है कि ल्यूकेमिया किसी भी उम्र में हो सकता है, फिर चाहे शिशु हो या बुजुर्ग। इसलिए लोगों का यह सोचना कि ल्यूकेमिया सिर्फ बच्चों में ही होता है, गलत है।
मिथक 7: विटामिन या सप्लीमेंट्स लेने से ब्लड कैंसर के खतरे को रोका जा सकता है
सच्चाई: डॉ. सनी कहते हैं, “इस तरह के दावों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। विटामिन या सप्लीमेंट लेने से ब्लड कैंसर के रिस्क को नहीं रोका जा सकता। अगर लोग संतुलित डाइट लें तो यह शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाती है जो शरीर में होने वाले इंफेक्शन्स से बचाती है, लेकिन कहीं भी ऐसी स्टडी नहीं है कि कैंसर के रिस्क को घटाने के लिए विटामिन ए, ई, डी या अन्य सप्लीमेंट लेना फायदेमंद है। माना जाता है कि ग्लूटाथियोन (GSH) कम होने से कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है, लेकिन इसका कतई मतलब नहीं है कि आप इसके सप्लीमेंट्स लेने लग जाएं। विटामिन ई, डी, के ज्यादा लेने से नुकसान हो सकते हैं, क्योंकि ये फैट सॉल्युबल (fat soluble) होते हैं, जो शरीर में जमा होकर नुकसान पहुंचाते हैं। कैंसर के रिस्क को कम करने के लिए विटामिन या सप्लीमेंट्स लेने की कोई गाइडलाइंस नहीं है।”
डॉ. सनी जैन जोर देते हैं कि ब्लड कैंसर को लेकर फैली भ्रांतियों की सच्चाई बताना बहुत जरूरी है, ताकि मरीज और उसके परिवार को बिना वजह का तनाव न हो। वैसे भी मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि आधुनिक तरीकों से मरीज का इलाज करना संभव हुआ है। बस, किसी भी बीमारी के लक्षणों की समय रहते पहचान करें। अगर आपके शरीर में किसी भी तरह के बदलाव हो रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर सलाह लें।
डिस्क्लेमर: इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।